रिस्क से बचने में कारगर साबित हो रहा सोशल मीडिया मॉनिटरिंग- उज्जैन सिंह
इन दिनों कॉर्पोरेट जगत में मीडिया मॉनिटरिंग की अहमियत काफी बढ़ गई है. सिर्फ कॉर्पोरेट जगत ही नहीं बल्कि छोटे व्यवसाय और व्यक्तिगत तौर पर भी लोगों के बीच मीडिया मॉनिटरिंग एक महत्वपूर्ण सेक्टर के रूप में उभरा है. छोटे-बड़े उद्योगपति हों या राजनीतिक घरानों से सम्बंधित व्यक्ति, मीडिया मॉनिटरिंग की जरुरत लगभग सभी को महसूस हो रही है. अब सवाल ये उठता है कि मीडिया मॉनिटरिंग है क्या और इसके लगातार डिमांड में बने रहने के पीछे क्या वजह है. दरअसल आम तौर पर मीडिया मॉनिटरिंग को मॉनिटरिंग की एक ऐसी यूनिट के तौर पर देखा जाता है, जो प्रिंट मीडिया में छपने वाली ख़बरों पर अपनी पैनी नजर रखता है. हालांकि जानकार अब इस ट्रेंड को बदलता हुआ देख रहे हैं. जहाँ मॉनिटरिंग अब सिर्फ प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तक ही सीमित नहीं है बल्कि सोशल मीडिया भी इस मामले में टॉप पर चल रहा है. सोशल मीडिया को ख़बरों के नए सोर्स के रूप में देखा जा रहा है, जहाँ रोजाना अन्य किसी मीडिया माध्यम से अधिक ख़बरों का आदान प्रदान हो रहा है. और सोशल मीडिया ही एक ऐसा माध्यम है जो किसी भी विषय पर सबसे जल्द सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव डालता है.
मीडिया मॉनिटरिंग की अग्रणी संस्था जस्ट ट्रैक के वाईस प्रेसिडेंट उज्जैन सिंह के मुताबिक, सोशल मीडिया कई अलग अलग प्लेटफॉर्म्स पर एक सामान्य व्यक्ति से लेकर उच्च पदाधिकारियों तक को प्रभावित कर रहा है. फेसबुक, व्हाट्स एप या टिक टॉक जैसी सोशल मीडिया साइट पर चलने वाली फेक न्यूज़ दुनिया भर के देशों के लिए एक बड़ी समस्या बन गई है. इसके खिलाफ कार्यवाही करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जाली, झूठी या भ्रमित करने वाली खबरों को ट्रैक करने के लिए भारत सरकार को नियम बनाने के निर्देश भी दिए है. हम कॉर्पोरेट वर्ल्ड में भी सोशल मीडिया मॉनिटरिंग की जरुरत समझ सकते हैं. फेक या निगेटिव ख़बरों के जरिये सामाजिक प्रतिष्ठा पर हमला किये जाने जैसे कई मामले दर्ज किए जाते हैं. ऐसे में पर्सनल लेवल पर सोशल साइट्स को निगरानी में रखना, रिस्क से बचने का एक कारगर तरीका साबित हो सकता है.    
बता दें कि जस्ट ट्रैक भारत में एकमात्र ऐसी कंपनी है जो मॉनिटरिंग सेवाएं प्रदान करती है. अपनी पैरेंट फर्म व पब्लिक रिलेशन क्षेत्र की टॉप 20 कंपनियों में शामिल PR 24×7 के सहयोग से जस्ट ट्रैक देश के विभिन्न राज्यों समेत श्रीलंका और पकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों में भी अपनी सेवाएं प्रदान कर रही है. ख़ास बात यह है कि संस्था की मॉनिटरिंग यूनिट हफ्ते के सातों दिन, चौबीस घंटे सक्रिय रहती है. इसके अलावा सीएसआर लागू करने के लिए कंपनी के पास एसए 8000:2008 और वैश्विक मानक को निर्धारित करने के लिए आईएसओ 9001:2008 प्रमाणपत्र भी मौजूद है.
रिस्क से बचने में कारगर साबित हो रहा सोशल मीडिया मॉनिटरिंग- उज्जैन सिंह
इन दिनों कॉर्पोरेट जगत में मीडिया मॉनिटरिंग की अहमियत काफी बढ़ गई है. सिर्फ कॉर्पोरेट जगत ही नहीं बल्कि छोटे व्यवसाय और व्यक्तिगत तौर पर भी लोगों के बीच मीडिया मॉनिटरिंग एक महत्वपूर्ण सेक्टर के रूप में उभरा है. छोटे-बड़े उद्योगपति हों या राजनीतिक घरानों से सम्बंधित व्यक्ति, मीडिया मॉनिटरिंग की जरुरत लगभग सभी को महसूस हो रही है. अब सवाल ये उठता है कि मीडिया मॉनिटरिंग है क्या और इसके लगातार डिमांड में बने रहने के पीछे क्या वजह है. दरअसल आम तौर पर मीडिया मॉनिटरिंग को मॉनिटरिंग की एक ऐसी यूनिट के तौर पर देखा जाता है, जो प्रिंट मीडिया में छपने वाली ख़बरों पर अपनी पैनी नजर रखता है. हालांकि जानकार अब इस ट्रेंड को बदलता हुआ देख रहे हैं. जहाँ मॉनिटरिंग अब सिर्फ प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तक ही सीमित नहीं है बल्कि सोशल मीडिया भी इस मामले में टॉप पर चल रहा है. सोशल मीडिया को ख़बरों के नए सोर्स के रूप में देखा जा रहा है, जहाँ रोजाना अन्य किसी मीडिया माध्यम से अधिक ख़बरों का आदान प्रदान हो रहा है. और सोशल मीडिया ही एक ऐसा माध्यम है जो किसी भी विषय पर सबसे जल्द सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव डालता है.
मीडिया मॉनिटरिंग की अग्रणी संस्था जस्ट ट्रैक के वाईस प्रेसिडेंट उज्जैन सिंह के मुताबिक, सोशल मीडिया कई अलग अलग प्लेटफॉर्म्स पर एक सामान्य व्यक्ति से लेकर उच्च पदाधिकारियों तक को प्रभावित कर रहा है. फेसबुक, व्हाट्स एप या टिक टॉक जैसी सोशल मीडिया साइट पर चलने वाली फेक न्यूज़ दुनिया भर के देशों के लिए एक बड़ी समस्या बन गई है. इसके खिलाफ कार्यवाही करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जाली, झूठी या भ्रमित करने वाली खबरों को ट्रैक करने के लिए भारत सरकार को नियम बनाने के निर्देश भी दिए है. हम कॉर्पोरेट वर्ल्ड में भी सोशल मीडिया मॉनिटरिंग की जरुरत समझ सकते हैं. फेक या निगेटिव ख़बरों के जरिये सामाजिक प्रतिष्ठा पर हमला किये जाने जैसे कई मामले दर्ज किए जाते हैं. ऐसे में पर्सनल लेवल पर सोशल साइट्स को निगरानी में रखना, रिस्क से बचने का एक कारगर तरीका साबित हो सकता है.    
बता दें कि जस्ट ट्रैक भारत में एकमात्र ऐसी कंपनी है जो मॉनिटरिंग सेवाएं प्रदान करती है. अपनी पैरेंट फर्म व पब्लिक रिलेशन क्षेत्र की टॉप 20 कंपनियों में शामिल PR 24×7 के सहयोग से जस्ट ट्रैक देश के विभिन्न राज्यों समेत श्रीलंका और पकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों में भी अपनी सेवाएं प्रदान कर रही है. ख़ास बात यह है कि संस्था की मॉनिटरिंग यूनिट हफ्ते के सातों दिन, चौबीस घंटे सक्रिय रहती है. इसके अलावा सीएसआर लागू करने के लिए कंपनी के पास एसए 8000:2008 और वैश्विक मानक को निर्धारित करने के लिए आईएसओ 9001:2008 प्रमाणपत्र भी मौजूद है.
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