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नागपुर की सुष्मिता सेन, श्रुष्टि ठाकरे


मिस  यूनिवर्स  सुष्मिता सेन  को कौन नहीं जानता, दुनियाभर में अपनी खूबसूरती का डंका बजवाने वाली सुष्मिता सेन अपनी लंबाई और ख़ूबसूरती के लिए जानी जाती हैं। 

लेकिन नागपुर में भी एक ऐसी ही लड़की है जिनको सुष्मिता सेन कहा जा रहा है। ये हैं उभरती हुई मॉडल-एक्ट्रेस,एंकर श्रुष्टि ठाकरे। 

जी हाँ श्रुष्टि ठाकरे देखने में जितनी प्यारी हैं वो दिल से भी उतनी ही अच्छी हैं। श्रुष्टि की लंबाई और फिगर सुष्मिता सेन से काफी मेल खाता है। श्रुष्टि अभी महज़ 20 साल की हैं। लेकिन उन्होंने अपना काफी नाम कर लिया है।

उनके कॉलेज में भी लोग उन्हें सुष्मिता सेन कहकर पुकारते हैं।  श्रुष्टि पढ़ाई के साथ-साथ मॉडलिंग, एक्टिंग में भी हाथ आजमा रही हैं, साथ ही वो कई शोज होस्ट कर चुकी हैं। श्रुष्टि ने अपने करियर की शुरुआत एंकरिंग से की थी और इसके बाद उन्होंने मॉडलिंग व एक्टिंग में भी हाथ आजमाना शुरू कर दिया।

श्रुष्टि देखने में बेहद खूबसूरत हैं, उनमें एक अलग सा आकर्षण दिखता है। उनका अंदाज, उनके बोलने का तरीका सुष्मिता सेन के बचपन की याद दिलाता है। 
 
श्रुष्टि ने मॉडलिंग में अभी कदम ही रखा है और वे कई खिताब भी अपने नाम के चुकी हैं। श्रुष्टि ने कई रैम्प शोज, मॉडलिंग इवेंट में हिस्सा लिया है वो शो स्टॉपर भी रह चुकी हैं।
श्रुष्टि अभी एक वीडियो एल्बम में भी नज़र आने वाली हैं, साथ ही उन्होंने "धनंजय गलानी प्रोडक्शन के साथ एक फ़िल्म भी साइन की है," जिसमें वे मुख्य भूमिका में नज़र आने वाली हैं।
श्रुष्टि अपने काम के प्रति बेहद ईमानदार, मेहनती लड़की हैं उनका कहना है कि "आप काम के बारे में सोचो, यह सोचो कि आप उस कार्य को कैसे कर सकते हैं? आप यकीन मानिए कठिन से कठिन कार्य आसानी से पूरे हो जाते हैं।" श्रुष्टि ने कहा कि 'उन्हें यकीन नहीं हुआ कि यह सब इतना जल्दी मिल जाएगा लेकिन उन्हें विश्वास था कि मिलेगा जरूर।' श्रुष्टि कहती हैं कि इंसान को सपने देखना कभी नहीं छोड़ना चाहिए, सपने हकीकत में कब बदल जाये यह केवल ईश्वर जानता है, बस आप अपने ऊपर विश्वास बनाये रखें।

फिल्मों व गानों में बोल्डनेस के सवाल पर श्रुष्टि ने कहा कि सबका अपना मत है और सीमाएं हैं। कोई कितना भी बोल्ड सीन कर सकता है बस उसे अपनी सीमा पता होनी चाहिए। श्रुष्टि कहती हैं कि फिल्मों में बोल्ड सीन स्क्रिप्ट की मांग हो सकती है, उसे आप किस तरह करती हैं यह आपके ऊपर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि मैं अपनी मर्यादा जानती हूँ, मैं वही तक रोल करूंगी जहां तक मेरी सीमा है और मेरे परिवार को अच्छा लगे।

उनकी आने वाली फिल्म के बारे में पूछने पर श्रुष्टि ने कहा कि, फ़िल्म की शूटिंग जब शुरू होगी तो सबको पता चल जाएगा। लेकिन अभी फिलहाल उसके बारे में बताना एग्रीमेंट के खिलाफ होगा। 
 
श्रुष्टि से जब यह पूँछा गया कि आपको कैसा लगता है जब लोग आपको नागपुर की सुष्मिता सेन कहकर पुकारते हैं? तो इस पर श्रुष्टि ने मुस्कुराकर कहा कि मुझे बेहद अच्छा लगता है और मैं सुष्मिता सेन को अपना आइडियल भी मानती हूँ लेकिन मुझे सुष्मिता सेन या उनके जैसी बनने के लिए अभी बहुत मेहनत करनी पड़ेगी।
आपको बता दें कि श्रुष्टि ठाकरे महाराष्ट्र के गोंदिया जिले की रहने वाली हैं। उनके मम्मी पापा गोंदिया जिले के तिरोड़ा शहर में रहते हैं। श्रुष्टि तीन बहने हैं और वे सबसे छोटी हैं। श्रुष्टि ने अभी भले अपने 20 साल पूरे कर लिए हों लेकिन उनमें समझदारी, मैच्युरिटी बहुत है।

हम आशा करते हैं कि श्रुष्टि सफलता के मुकाम पर ऐसी ही आगे बढ़ती रहें, वे देश दुनिया में अपने परिवार और अपने क्षेत्र का नाम रोशन करें।

जिस मुल्क का शरीर और समाज दोनों बीमार हो चुका हो, आखिर वो कैसे तरक्की करेगा — अतुल मलिकराम
 

 कोई गम के साये में डूबा हुआ था और कोई ये देखकर खुश हो रहा था कि उसके आंखों के आगे से जनाजा निकल रहा है। मै हैरान हूं इस मुल्क की सोच से, क्योंकि जिस मुल्क में किसी के घर में छाया मातम, किसी और के लिए शगुन बन जाए, वो मुल्क आने वाले 70 सालों में तो क्या 700 सालों में भी तरक्की नही कर सकता है।

इस मुल्क में कहीं करोड़ो रुपए सड़ रहे हैं, तो कहीं करोड़ो भूख से मर रहे हैं। इस मुल्क में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ आंदोलन है लेकिन फिर भी दिन-रात बलात्कार का कोहरा है। जिस मुल्क का शरीर और समाज दोनों बीमार हो चुका हो, वो आखिर कैसे तरक्की करेगा।

मैने देखा है इस मुल्क में आस्था पर अंधविश्वास को हावी हुए, मै हैरान हो जाता हूँ, जब सभ्य समाज का पढ़ा-लिखा वर्ग बतलाने वालो के आँखों पर अंधविश्वास की चादर चढ़ी हुई पाता हूँ। जब तक इस मुल्क में अंधविश्वास के नाम पर खून का खेल यूं ही चलता रहेगा, जब तक आस्था की अस्मत से अंधविश्वास का दाग नही हटेगा, ये मुल्क तरक्की नही कर सकेगा।

मैने देखा है इस देश के बच्चों को, जो आज अपना भविष्य खरीदने के लिए मजबूर हैं। जो डोनेशन के नाम पर काला धन बांट पाता है, वो ही यहाँ बेहतर शिक्षा पाने का हकदार बन पाता है। जो मुल्क, खुद के भविष्य पर ताले लगाता हो, आखिर वो मुल्क कभी कैसे तरक्की कर पायेगा।

मैने देखा है इस मुल्क के लोगो को दागियों को सत्ता के सिंहासन पर बैठाते हुए, जब तक इस मुल्क का नागरिक अपने वोट के अधिकार को नही समझ पायेगा, ये मुल्क तरक्की नही कर पायेगा।
मैने देखा है यहां मजहब के नाम पर खून की नदियां बहते हुए, भाई को भाई की जान लेते हुए, मै देखता हूँ लोगो को भगवे और हरे के लिए लड़ते हुए। जब तक ये मुल्क भगवा और हरा छोड़ तिरंगा नही उठायेगा, ये मुल्क तरक्की नही कर पायेगा।

जब ये मुल्क केवल एक नेता नही बल्कि अंतिम पायदान में खड़े व्यक्ति की तरक्की का अहसास कर पायेगा, तब ये मुल्क तरक्की कर पायेगा। जब इस मुल्क में सभी को शिक्षा का समान अधिकार मिल पायेगा, तब ये मुल्क तरक्की कर पायेगा। जब इस मुल्क के लोगो को दूसरों के दुख में दुख का अहसास हो पायेगा, तब ये मुल्क तरक्की कर पायेगा। जब इस मुल्क का प्रत्येक वासी अपनी-अपनी जिम्मेदारी की चादर ओढ़ने के लिए तैयार हो जायेगा, और सच्चे नागरिक का कर्तव्य निभाएगा, तब सही मायनो में ये मुल्क तरक्की कर पायेगा।


VIBGYOR Students Spread Happiness This Christmas and New Year!


  • ·         VIBGYOR students become "The Santa for a Cause"
  • ·         Donated Toys, Clothes, Eatables to the underprivileged children in a near-by orphanage
Indore: Its festive season, Christmas and New Year is the season of Hope and Happiness, it’s time to spread happiness and celebrate the joy of giving! At a time, when there is so much hatred around in the world, unrest, it’s necessary to teach our children to be compassionate towards one another. At VIBGYOR, we start sensitising our students about various social concerns at an early age to help them become sensible future citizens of the world.
To spread a smile and share the joy of the festive season, VIBGYOR Rise students visited “AaS” (Awareness to the Society) orphanage this week. The visit was conducted as a part of ‘Celebrate the Joy of Sharing’ activity. Our students donated stationery items, books, blankets, toys, cloths, etc. to the children. VIBGYOR staff guided children at Aas about “Importance of Sport’s in Life” and “Reduce the use of single-use plastic”.

 Children of “Aas orphanage” welcomed VIBGYOR students with a smile. The atmosphere was fun-filled and joyous as everyone warmed up to each other. The students interacted with each other and shared their experiences.

Principal, Dr. Abhishek Sharma said, “It is not the gift but the thought that counts. On a Christmas Eve, every child wishes for a gift from Santa. This was a chance for our students to be the Santa for a cause. Students are extremely happy after spending time with the kids of “Aas Orphanage”. This activity was aimed at inspiring one and all to give in whatever way they choose and to celebrate the feeling of giving. At VIBGYOR, we start sensitising our students at an early age about various social concerns and their surroundings."

About VIBGYOR Group of Schools
Founded in 2004, VIBGYOR Group of Schools, recognised as India’s Most Admired Brands in Education 2018, is a leading chain of K-12 schools known for its quality education and academic excellence. The Group offers a unique range of world-class educational services for the holistic development of students in curricular and co-curricular studies across all its schools. Under the leadership of Mr. Rustom Kerawalla, Founder Chairman of the institution, VIBGYOR Group is set to explore new horizons with 39 schools in 14 major cities, reaching out to more than 55000 students nationwide.

VIBGYOR High caters to the students from Grades 1 to 12, and VIBGYOR Kids to the Pre-Primary segment with a student-teacher ratio of 10:1 on an average. VIBGYOR High provides a mixed spectrum of national and international levels of education in affiliation with CISCE, CBSE and Cambridge International.
VIBGYOR Roots and Rise offers CBSE Board curriculum. VIBGYOR Roots caters to Pre-Primary Division while VIBGYOR Rise caters to Primary and Secondary students with a student-teacher ratio of 15:1 on an average.



रिस्क से बचने में कारगर साबित हो रहा सोशल मीडिया मॉनिटरिंग- उज्जैन सिंह
इन दिनों कॉर्पोरेट जगत में मीडिया मॉनिटरिंग की अहमियत काफी बढ़ गई है. सिर्फ कॉर्पोरेट जगत ही नहीं बल्कि छोटे व्यवसाय और व्यक्तिगत तौर पर भी लोगों के बीच मीडिया मॉनिटरिंग एक महत्वपूर्ण सेक्टर के रूप में उभरा है. छोटे-बड़े उद्योगपति हों या राजनीतिक घरानों से सम्बंधित व्यक्ति, मीडिया मॉनिटरिंग की जरुरत लगभग सभी को महसूस हो रही है. अब सवाल ये उठता है कि मीडिया मॉनिटरिंग है क्या और इसके लगातार डिमांड में बने रहने के पीछे क्या वजह है. दरअसल आम तौर पर मीडिया मॉनिटरिंग को मॉनिटरिंग की एक ऐसी यूनिट के तौर पर देखा जाता है, जो प्रिंट मीडिया में छपने वाली ख़बरों पर अपनी पैनी नजर रखता है. हालांकि जानकार अब इस ट्रेंड को बदलता हुआ देख रहे हैं. जहाँ मॉनिटरिंग अब सिर्फ प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तक ही सीमित नहीं है बल्कि सोशल मीडिया भी इस मामले में टॉप पर चल रहा है. सोशल मीडिया को ख़बरों के नए सोर्स के रूप में देखा जा रहा है, जहाँ रोजाना अन्य किसी मीडिया माध्यम से अधिक ख़बरों का आदान प्रदान हो रहा है. और सोशल मीडिया ही एक ऐसा माध्यम है जो किसी भी विषय पर सबसे जल्द सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव डालता है.
मीडिया मॉनिटरिंग की अग्रणी संस्था जस्ट ट्रैक के वाईस प्रेसिडेंट उज्जैन सिंह के मुताबिक, सोशल मीडिया कई अलग अलग प्लेटफॉर्म्स पर एक सामान्य व्यक्ति से लेकर उच्च पदाधिकारियों तक को प्रभावित कर रहा है. फेसबुक, व्हाट्स एप या टिक टॉक जैसी सोशल मीडिया साइट पर चलने वाली फेक न्यूज़ दुनिया भर के देशों के लिए एक बड़ी समस्या बन गई है. इसके खिलाफ कार्यवाही करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जाली, झूठी या भ्रमित करने वाली खबरों को ट्रैक करने के लिए भारत सरकार को नियम बनाने के निर्देश भी दिए है. हम कॉर्पोरेट वर्ल्ड में भी सोशल मीडिया मॉनिटरिंग की जरुरत समझ सकते हैं. फेक या निगेटिव ख़बरों के जरिये सामाजिक प्रतिष्ठा पर हमला किये जाने जैसे कई मामले दर्ज किए जाते हैं. ऐसे में पर्सनल लेवल पर सोशल साइट्स को निगरानी में रखना, रिस्क से बचने का एक कारगर तरीका साबित हो सकता है.    
बता दें कि जस्ट ट्रैक भारत में एकमात्र ऐसी कंपनी है जो मॉनिटरिंग सेवाएं प्रदान करती है. अपनी पैरेंट फर्म व पब्लिक रिलेशन क्षेत्र की टॉप 20 कंपनियों में शामिल PR 24×7 के सहयोग से जस्ट ट्रैक देश के विभिन्न राज्यों समेत श्रीलंका और पकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों में भी अपनी सेवाएं प्रदान कर रही है. ख़ास बात यह है कि संस्था की मॉनिटरिंग यूनिट हफ्ते के सातों दिन, चौबीस घंटे सक्रिय रहती है. इसके अलावा सीएसआर लागू करने के लिए कंपनी के पास एसए 8000:2008 और वैश्विक मानक को निर्धारित करने के लिए आईएसओ 9001:2008 प्रमाणपत्र भी मौजूद है.

नई सीख से नए साल का स्वागत कर छूएंगे नई ऊचाईयां - अतुल मलिकराम 

पीआर 24x7  ये अंतिम सप्ताह 'बातों-बातों में, कार्यक्रम मना रहा है, ताकि वो भी एक नए जोश और नयी ऊर्जा के साथ नए साल में प्रवेश कर सके, और वक़्त के साथ हाथ मिला कर हर परिस्थिति का मुकाबला कर सके। 'बातो-बातों में,' ये कार्यक्रम, कंपनी के फाउंडर और चेयरमैन अतुल मलिकराम की सोच है। अतुल कहते हैं कि जिंदगी एक सफर है, इस सफर में यात्री बदलते रहेंगे, उतार-चढ़ाव आते रहेंगे, लेकिन ये सफर जारी रहेगा, इस सफर में आपको अपने तयशुदा लक्ष्य की ओर पहुंचना है, ताकि जब आपका सफर समाप्त हो तो आप संतुष्ट रहें। अतुल ने बताया कि 'बातों-बातों में,' कार्यक्रम के जरियें सीनियर इम्पलाॅयिज अपने विचारों, अनुभवों को जूनियर इम्पलाॅयिज के साथ साझा कर रहे हैं एवं उनका मार्गदर्शन कर रहे हैं। कुछ बातें छोटे-बड़ो को सीखा रहे हैं और कुछ वो बड़ो से सीख रहे हैं। अतुल ने आगे बताया कि कार्यक्रम में केवल प्रोफेशनल लाईफ ही नही बल्कि पर्सनल लाईफ से जुड़े सवालों कि गुत्थी भी सुलझायी जा रही है, ताकि एक व्यक्ति जीवन को अनुभव कर सके, अपने जीवन में संतुलन स्थापित कर सके और उजाले कि ओर बढ़ता चले।